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लेखनी कहानी -29-Nov-2022

याद दिलाती है

सावन की वो पहली बारिश!
अहसास नये जगाती है!
टिप-टिप करके गिरती बारिश की बूँदें, 
तेरी-मेरी पहली मुलाकात याद दिलाती हैं।

काली-काली ये घटा बादल की!
जज्बात मेरे जगाती है। 
तेरे संग बारिश में भीगे स्मरणीय, 
लम्हों की याद दिलाती हैं।

मयूर को नचाता देख उपवन में,
चित्त मेरा भी नृत्य करता है। 
कोयल की मीठी-सी बोली, 
ख़्यालों में तेरे ले जाती है। 

सावन की वो पहली बारिश, 
मन को तर बतर कर जाती है।
कब आओगे प्रितम मेरे!
घटा बादल की तुम्हारा पता पूछती है। 
   श्वेता दूहन देशवाल
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 
#यादों का झरोखा

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2 Comments

Gunjan Kamal

07-Dec-2022 09:06 AM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Rajeev kumar jha

30-Nov-2022 11:49 AM

शानदार

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